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Hindi Poem Recitation on Maa | कविता माँ

Hindi Poem Recitation on Maa
कविता माँ
Hindi Poem on Mother

शब्द नहीं माँ कैसी होती
माँ तो बस माँ जैसी होती

माँ का प्यार बड़ा निराला
ईश्वर का भी सर झुका डाला

मैं मस्तक हूँ वह ताज है
मेरी माँ को मुझ पर नाज़ है

मैं उनकी आँखो का हूँ मोती
कुछ ना होता जो माँ ना होती

मैं अक्षर तो वह भाषा है
माँ का प्रेम मेरी मेरी अभिलाषा है

और क्या मैं कहूँ दोस्तों,
अम्बर ना होता, धरती न होती
जो इस दुनिया में माँ ना होती

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